Wednesday, December 16, 2009

nad

नदिया सिकुड़ती जाए रे

नदिया सिकुड़ती जाए रे
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!

चट्टानों से खेलती
झरनों पे बल खाए रे
धरती पे जब आये रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!

धरम उसे पी जाए रे
पाप में वो घुल जाए रे
हथेलियों में न समाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!

नदिया सिकुड़ती जाए रे
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!