4F ( free flow fully falatu)
Where I am
No one wants to come
No one wants to come
B’couse here I am
Servicing fuck me
That’s stuck me
Bad luck to me
B’couse servicing fuck me
Now I am alone
Think about some loan
Personal banker change her tone
B’couse I am asking for loan
Life seems to be gone
Nothing is my own
Land lord ringing phone
B’couse nothing is my own
Where I am
No one wants to come
No one wants to come
B’couse here I am
When I enter
Summer or winter
See my boss with timepiece & hunter
B’couse I am not punter
Night comes so fast
I think I am last
Peons too loudly laugh
B’couse night comes so fast
Things are going wrong
Salary is ping pong
I thinks where should I gone
B’couse things are going wrong
Where I am
No one wants to come
No one wants to come
B’couse here I am
When I think to fight
Situations becomes very tight
Air flow cut’s my kite
B’caous situations are very tight
Roads are full of fools
Only I am following the rules
People that pass me are un-cool
B’caous I am follows D rules
Money is rocket
Blasts my pocket
shops and malls are socket
B’caouse money is rocket
Where I am
No one wants to come
No one wants to come
B’couse here I am
Friday, July 8, 2011
Thursday, January 21, 2010
Wednesday, January 20, 2010
PHIR SE...
फिर से लहराए हैं, जुल्फों के साए
फिर तमन्नाओं ने अंगड़ाई ली है
फिर कोई बात लफ्जों पे है आई
फिर नज़रों से नजरें मिली हैं!
और आ गए हैं जो इस मोड़ पे
तो फिर ये दूरियां हैं कैसी
क्यूँ है एक अजनबी सी खोमोशी
क्यूँ चहरे पे नजाकत भरी है!
मिलो तो अबकी यूँ मिलो
की बाकी न कोई ख्वाहिस रहे
अबकी जो मिल जाएँ तो
मिल जायें हवाओं की तरह!
फिर से लहराए हैं, जुल्फों के साए
फिर तमन्नाओं ने अंगड़ाई ली है
फिर कोई बात लफ्जों पे है आई
फिर नज़रों से नजरें मिली हैं!
फिर तमन्नाओं ने अंगड़ाई ली है
फिर कोई बात लफ्जों पे है आई
फिर नज़रों से नजरें मिली हैं!
और आ गए हैं जो इस मोड़ पे
तो फिर ये दूरियां हैं कैसी
क्यूँ है एक अजनबी सी खोमोशी
क्यूँ चहरे पे नजाकत भरी है!
मिलो तो अबकी यूँ मिलो
की बाकी न कोई ख्वाहिस रहे
अबकी जो मिल जाएँ तो
मिल जायें हवाओं की तरह!
फिर से लहराए हैं, जुल्फों के साए
फिर तमन्नाओं ने अंगड़ाई ली है
फिर कोई बात लफ्जों पे है आई
फिर नज़रों से नजरें मिली हैं!
Monday, January 11, 2010
पूस (WINTER) की लम्बी रातें...
चूल्हे की ठंडी रख सुलग-सुलग कर बुझ जाती है...
पर काम नहीं आती है.
कपकपाते होठों से मल्हार गाते हैं...
पर कपकपी नहीं जाती है.
महीन फटे चादर में टाँगे पेट में घुस जाती हैं...
पर नींद नहीं आती है.
उफ़! ये पूस की रातें... कितनी लम्बी हो जाती हैं.
पर काम नहीं आती है.
कपकपाते होठों से मल्हार गाते हैं...
पर कपकपी नहीं जाती है.
महीन फटे चादर में टाँगे पेट में घुस जाती हैं...
पर नींद नहीं आती है.
उफ़! ये पूस की रातें... कितनी लम्बी हो जाती हैं.
Wednesday, January 6, 2010
duniya ek saray
ना आने का फक्र, ना जाने का गम!
दुनिया एक सराय
जिसको आना हो आये
जिसको जाना हो जाये!
ना बदली है, ना बदलेगी
तासीर इसकी,
बदल लो कितनी भी चाहें
तस्वीर इसकी
दुनिया एक सराय
जिसको आना हो आये
जिसको जाना हो जाये!
दुनिया एक सराय
जिसको आना हो आये
जिसको जाना हो जाये!
ना बदली है, ना बदलेगी
तासीर इसकी,
बदल लो कितनी भी चाहें
तस्वीर इसकी
दुनिया एक सराय
जिसको आना हो आये
जिसको जाना हो जाये!
Wednesday, December 16, 2009
nad
नदिया सिकुड़ती जाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
चट्टानों से खेलती
झरनों पे बल खाए रे
धरती पे जब आये रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
धरम उसे पी जाए रे
पाप में वो घुल जाए रे
हथेलियों में न समाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
नदिया सिकुड़ती जाए रे
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
चट्टानों से खेलती
झरनों पे बल खाए रे
धरती पे जब आये रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
धरम उसे पी जाए रे
पाप में वो घुल जाए रे
हथेलियों में न समाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
नदिया सिकुड़ती जाए रे
सागर से न मिल पाए रे
रेत उसे उलझाए रे
नदिया सिकुड़ती जाए रे!
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